- कभी-कभी हड़प्पा संस्कृति (Indus Valley Civilisation) को ऋग्वैदिक कहते हैं। लेकिन इस संस्कृति की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख ऋग्वेद में नही मिलता है। नियोजित नगर, शिल्प, वाणिज्य, और ईंटों की बनी बड़ी – बड़ी संरचनाएं परिपक्व हड़प्पा संस्कृति की विशेषताएँ हैं।
- ऋग्वेद में ये विशेषताएँ नही हैं। प्रारम्भिक वैदिकजन कृषि के साथ पशुपालन करते थे। वे ईंटों का प्रयोग नही करते थे। प्रारम्भिक वैदिकजन हड़प्पा संस्कृति के प्रायः सम्पूर्ण क्षेत्र में रहते थे, लेकिन वे लोग अफगानिस्तान में भी रहते थे।
- हड़प्पा संस्कृति की परिपक्व नगर अवस्था (2500-1900) ई.पू. तक बनी रहीं। लेकिन ऋग्वेद का काल (Rigvedic period) लगभग 1500 ई.पू. माना जाता है। इसके अतिरिक्त हड़प्पा संस्कृति के लोगों और वैदिक लोगों को बिलकुल समान वनस्पतियों और पशुओं की जानकारी थी, ऐसा कोई प्रमाण नही मिला।
- ऋग्वेद में केवल जौ का उल्लेख है, लेकिन हड़प्पा संस्कृति के लोगों को गेहूं, तिल और मटर की भी जानकारी थी। हड़प्पा संस्कृति (Harappan Culture) के लोग गैंडा से परिचित थे, लेकिन यह वैदिक लोगों को अज्ञात था। बाग के साथ भी यही बात है। वैदिकजन के मुखिया अश्व सवार होते थे। यही कारण है कि इस पशु का ऋग्वेद में 215 बार उल्लेख हुआ है। लेकिन हड़प्पा नगरवासियों (Harappan townspeople) को घोड़ों की जानकारी शायद ही थी। हड़प्पाई मृणमूर्तिकाओं में हाथी मिलता है, लेकिन प्राचीनतम वेद में यह घोड़े की तुलना में महत्वहीन है।
- हड़प्पा संस्कृति के लोगों को लेखन कला ज्ञात थी। उनकी लिखाई को जिसे सिंधु लिपि कहते हैं, अभी तक पढ़ा नहीं जा सहा है। इस प्रकार हड़प्पा संस्कृति के लोगों की भाषा के बारे में हमें स्पष्ट अनुमान ही है लेकिन प्रारम्भिक वैदिकजन (Vedic people) हिन्दू आर्य भाषा बोलते थे जिसके भिन्न – भिन्न रूप अभी भी दक्षिण एशिया में प्रचलित है।
Read More: वैदिक संस्कृति
Advertisements
2 thoughts on “क्या हड़प्पा संस्कृति वैदिक थी?”